
भाषा (Bhasha) किसे कहते है व भाषा के भेद? | Bhasha की परिभाषा | भाषा (Language) इन हिन्दी।
भाषा
मनुष्य की बोलने की क्षमता ईश्वर का उसे दिया अनुपम उपहार है। वाणी के द्वारा मनुष्य अपने मनोभाव वह विचार दूसरों को समझाता है और दूसरों के विचार वह मनोभाव स्वयं समझता है। यह सब जिस साधन द्वारा संभव होता है वह भाषा है।
भाषा की परिभाषा
भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा बोलकर या लिखकर अपने भाव और विचार दूसरों तक पहुंचाए जाते हैं और सुनकर या पढ़ कर उनके विचार स्वयं समझ जाते हैं। उसे भाषा कहा जाता है।
वैसे तो ध्वनियां पशु-पक्षी भी अपने मुख से निकालते हैं किंतु उन्हें भाषा नहीं कहा जा सकता। भाषा के अंतर्गत तो केवल वही सार्थक ध्वनि आती हैं; जिनका प्रयोग मनुष्य द्वारा किया जाता है।
दूसरे शब्दों में कहे तो–जिसके द्वारा हम ,आप या कोई भी व्यक्ति अपनी बात को दूसरों तक पहुंचा सकता है और दूसरों की बात को स्वयं जान सकता है चाहे वह बोल कर ,लिख कर ,वह पढ़कर अपने मन के भावों और विचारों का आदान प्रदान करता है।
जो बोल नहीं सकते और ना ही पढ़ लिख सकते हैं वह अपने मन के भावों और विचारों को दूसरों के सामने संकेतों के द्वारा दर्शाते हैं । संकेतों में अपनी बात समझाने में पुराने लोगों को बहुत कठिनाई होती थी इसको दूर करने के लिए ध्वनियों को मिलाकर शब्द बनाने आरंभ कर दिए गए और शब्दों के मेल से ही भाषा बने।
पहले आदिवासी लोग कभी लो में रहते थे और हर कभी लेकर अलग भाषा होती थी इसलिए हर क्षेत्र हर देश की अपनी एक अलग भाषा होती है जिससे वहां के लोग आपस में बातचीत कर सकते हैं ।यही कारण है कि दुनिया में अनेक भाषाएं हैं ।जैसे- हिंदी ,संस्कृत ,गुजराती, कन्नड़, चीनी, अंग्रेजी ,बंगला आदि।
हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है।
भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से बना है, जिसका अर्थ है बोलना। किंतु उसको कुछ संकेतों से भी उकेरा जा सकता है जिससे अक्षर बनते हैं और फिर हम अपने भाव बोलने के साथ लिख भी सकते हैं।
भाषा की विशेषताएं:
- भाषा सार्थक ध्वनियों के मेल से बनती है।
- भाषा के द्वारा ही विचारों का आदान प्रदान संभव है।
- भाषा के प्रयोग का गौरव केवल मनुष्य को ही प्राप्त है अन्य प्राणी इससे वंचित हैं।
भाषा के रूप – भाषा के प्रकार
भाषा के तीन रूप होते हैं-
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- संकेतिक भाषा (इसका प्रयोग ज्यादातर व्याकरण में नहीं किया जाता)
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हिन्दी व्याकरण में भाषा के मुख्यत: दो ही रूप होते हैं
मौखिक भाषा और लिखित भाषा।
1. मौखिक भाषा –
भाषा को बोल कर बताना या सुनकर जान लेना भाषा का मौखिक रूप होता है इसमें वक्ता बोल कर अपनी बात कहता है और सुनने वाला सुनकर उसकी बात को समझता है। अन्य शब्दों में अपनी भाषा को परिभाषित करें तो भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति बोलकर विचार प्रकट करें और दूसरा व्यक्ति सुनकर उसे समझ जाता है मौखिक भाषा कहलाती है। यह भाषा का सबसे पुराना रूप है। मनुष्य ने सबसे पहले बोलना ही सीखा।
जैसे- भाषण सुनना, समाचार सुनना ,कहानी सुनाना ,घटना का वर्णन करना, आपसी बातचीत करना।
3. लिखित भाषा –
जब हम अपने मन के विचारों को दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं तो हम उन बातों को लिखकर प्रकट करें उस भाव को लिखित भाषा कहा जाता है। इस प्रकार भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति अपने विचार या भाव लिखकर प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति पढ़कर बात समझता है लिखित भाषा कहलाती है।
जैसे- पत्र लिखना, उत्तर लिखना ,डायरी लिखना ,पत्र व्यवहार, कहानी लिखना, जीवनी लिखना आदि।
3. सांकेतिक भाषा –
जब संकेतों द्वारा अपनी बात दूसरों को समझाइए और स्वयं दूसरों की बात समझी जाती है तब वह संकेतिक भाषा कहलाती है। इस पद्धति का प्रयोग अधिकतर गूंगे,बहरे, जो बोले सुन नहीं सकते प्रयोग में लाते हैं। यह सब सांकेतिक भाषा कहलाती है। जैसे: दूर देश जाने पर भाषा समझ में आने के बाद इशारे से समझाने की कोशिश करना।
भाषा के अन्य रूप
- राष्ट्रभाषा: वह भाषा जो देश के अधिकतर हिस्सों में बोली जाती है या प्रयोग किए जाती है राष्ट्रभाषा कहलाती हैं ।भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी लगभग 75 फ़ीसदी भारतीय द्वारा प्रयोग में लाई जाती है।
- मातृभाषा: बच्चे के जन्म लेने के बाद अपने परिवार क्षेत्र और गांव के आसपास लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा जिसे बच्चा सबसे पहले सीखता है उसे मातृभाषा कहते हैं। इसे क्षेत्रीय भाषा भी कहा जा सकता है।
- प्रादेशिक भाषा: एक प्रदेश में बोली जाने वाली भाषा को प्रादेशिक भाषा कहते हैं भारत के अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं।
प्रदेश | भाषा |
उत्तर प्रदेश पंजाब केरल महाराष्ट् असम राजस्थान गुजरात कश्मीर तमिलनाडु | हिंदी पंजाबी मलयालम मराठी असमिया राजस्थानी ,मारवाड़ी गुजराती कश्मीरी तमिल |
4. अंतरराष्ट्रीय भाषा: जब कोई भाषा विश्व के अधिक राष्ट्रों द्वारा बोली और समझी जाती है वह अंतरराष्ट्रीय भाषा बन जाती है ।अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है।
5. राजभाषा: वह भाषा जो देश के सरकारी कार्यालयों के कामकाज में प्रयोग की जाती है, राज भाषा कहलाती है।
हिंदी भाषा का परिचय और महत्व
हिंदी भाषा का उद्भव संस्कृत भाषा से माना जाता है। अपने उद्भव के पश्चात हिंदी में अनेक परिवर्तन और परिष्कार हुए हैं ।आज हिंदी भारत में जन जन द्वारा बोली और समझी जाने वाली लोकप्रिय भाषा है। इसे 14 सितंबर 1949 के संविधान में राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। भारत में प्रमुख हिंदी भाषी क्षेत्र हैं -दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा ,उत्तराखंड ,मध्य प्रदेश, बिहार ,छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश आदि।
अपनी वैज्ञानिकता वह लोकप्रियता के कारण हिंदी भाषा का विश्व में दूसरा स्थान है। भारत के अतिरिक्त नेपाल ,मलेशिया, फिजी, इंडोनेशिया, मॉरिशस तथा जावा में भी हिंदी को बहुत लोकप्रियता प्राप्त है।
बोली तथा उपभाषा क्या है?
- (क) बोली-किसी क्षेत्र में बोली जाने वाली वह भाषा जिसमें व्याकरण के नियमों का कुछ ध्यान नहीं रखा जाता, ‘बोली’ कहलाती है ।इसका रूप प्रायः एक ही होता है।
- (ख) उपभाषा: जब किसी बोली में साहित्य रचना प्रारंभ हो जाती है तो वह उपभाषा कहलाती है।
हिंदी की उपभाषाएं–
- पूर्वी हिंदी – अवधी ,छत्तीसगढ़ी, बघेली।
- पश्चिमी हिंदी – खड़ी बोली, ब्रजभाषा, कन्नौजी ,बुंदेली, हरियाणवी।
- पहाड़ी हिंदी – कुमाऊनी, हिमाचली, गढ़वाली।
- बिहारी हिंदी – मैथिली, मगही, भोजपुरी।
लिपि
भाषा का प्रयोग करते समय जब हम साथृक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। इन्हीं मौखिक ध्वनियों को जिन चिन्हों द्वारा लिखकर व्यक्त किया जाता है, वे लिपि कहलाते हैं।

लिपि की परिभाषा
किसी भी भाषा के लिखने की विधि को लिपि कहा जाता है।
प्रत्येक भाषा की लिपि चिन्ह अलग-अलग होते हैं तथा उन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
कुछ प्रसिद्ध भाषाएं एवं उनकी लिपियां–
भाषा | लिपि |
हिंदी, संस्कृत ,मराठी | देवनागरी |
पंजाबी | गुरमुखी |
उर्दू ,फारसी | फारसी |
अरबी | अरबी |
बंगला | बंगला |
रूसी | रूसी |
अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश | रोमन |
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