हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammer) सम्पूर्ण

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Table of Contents

भाषा किसे कहते हैं? व भाषा के रूप

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं और इसके लिये हम वाचिक ध्वनियों का प्रयोग करते हैं।भाषा, मुख से उच्चारित होने वाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बताई जाती है। – विकिपिडिया

भाषा के 3 रूप होते है-

  1. मोखिक भाषा
  2. लिखित भाषा
  3. सांकेतिक भाषा
  1. मोखिक भाषा – अपने विचारो को बोलकर प्रकट करने के रूप को मोखिक भाषा कहते है।
  2. लिखित भाषा – अपने विचारो को लिख कर प्रकट करने के रूप को लिखित भाषा कहते हैं।
  3. सांकेतिक भाषा – जिस माध्यम से हम अपने विचारो को इशारो (संकेतो) के द्वारा किसी दुसरे व्यक्ति को अपनी बात समझाते है उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं।

हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar)

हिन्दी व्याकरण भाषा को सुध रूप से लिखने, पढ़ने व बोलने का एक रूप होती है। हिन्दी भाषा का महत्वपूर्ण अंग है हिन्दी व्याकरण। हिंदी व्याकरण को चार भागों में विभाजित किया गया है, यह चार भाग हैं वर्ण विचार, शब्द विचार, वाक्य विचार एवं छंद विचार।

  1. वर्ण विचार- वर्ण वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े ना हो सके, उसे वर्ण कहते हैं। वर्ण विचार के अंतर्गत आते हैं स्वर और व्यंजन
  2. शब्द विचार– हिंदी व्याकरण का वह रूप है जिसके अंतर्गत किसी भी शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाए। शब्द विचार के 4 भेद होते है उत्पत्ति या स्त्रोत के आधार पर, व्युत्पत्ति या रचना के आधार पर, शब्द के प्रकार अर्थ के आधार पर, रूपांतरण या विकार के आधार पर
  3. वाक्य विचार- शब्दों का वह समूह जिसे से कोई भी बात पूरी तरह से समझ में आ जाये, ‘वाक्य’ कहलाता हैै। वाक्य विचार के के दो भेद होते हैं, जिसमें उद्देश्य और विधेय शामिल हैं।
  4. छंद विचार- वर्णो या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आहाद पैदा हो, तो उसे छंद कहा जाता है। छंद के प्रकार मे वर्ण और मात्रा, संख्या एवं क्रम, चरण इत्यादि शामिल हैं।

व्याकरण किसे कहते हैं?

हमारे द्वारा किसी भाषा को शुद्ध रूप से बोलना, समझना व लिखना ही व्याकरण कहलाता है। 

हिंदी व्याकरण की परिभाषा

“व्याकरण” शब्द का शाब्दिक मतलब है- “विश्लेषण करना”। व्याकरण भाषा का परीक्षण करके उसकी रचना को हमारे सामने जाहिर करता है। भाषा की सबसे छोटा रूप ‘ध्वनि’ है। ‘ध्वनि’ और उसकी लिपि प्रतिक दोनों के लिए हिंदी में वर्ण शब्द का प्रयोग होता है। ध्वनियाँ या वर्णों से शब्द तथा शब्दों के सार्थक मेल से वाक्य बनता है।

हिंदी व्याकरण के कितने भेद/प्रकार होते है?

हिंदी व्याकरण- हिंदी भाषा को शुद्ध रूप से पढ़ने, बोलने और लिखने के नियम को कहते हैं। हिंदी भाषा में व्याकरण के 3 भेद होते हैं। व्याकरण के भेद निम्नलिखित हैं:

  1. वर्ण विचार
  2. शब्द विचार
  3. वाक्य विचार

1. वर्ण विचार

वर्ण वह छोटी से छोटी ध्वनि होती है जिसके और टुकड़े ना किए जा सकें, उसे वर्ण कहते हैं। वर्ण विचार के अंतर्गत आते हैं स्वर और व्यंजन आते हैं।

वर्ण (अक्षर)- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते।

वर्ण के प्रकार –

वर्णों के 2 प्रकार होते है-

  1. स्वर
  2. व्यंजन
  3. आयोगवाह

1. स्वर –

वे वर्ण/अक्षर जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण/अक्षर की मदद की आवश्यकता ना हो, वह स्वर कहलाता है। हिंदी वर्णमाला में 16 स्वर होते है। जैसे- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ।

स्वर के दो भेद होते है-

(i) मूल स्वर, (ii) संयुक्त स्वर

(i) मूल स्वर:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ

(ii) संयुक्त स्वर:- ऐ (अ + ए) और औ (अ + ओ)

2. व्यंजन-

जिन वर्णो/अक्षरों को बोलने के लिए स्वरों की मद लेनी पड़े, उन्हें व्यंजन कहते है। जैसे- क, ख, ग, च, छ, त, थ, द, भ, म इत्यादि।

व्यंजन के प्रकार

व्यंजन तीन प्रकार के होते है-

  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अन्तःस्थ व्यंजन
  3. उष्म या संघर्षी व्यंजन
1. स्पर्श व्यंजन

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुँह के किसी भी भाग जैसे कि – कण्ठ, तालु, मूर्धा, दाँत, अथवा होठ का छूती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते है।

ये 25 व्यंजन होते है-

स्पर्श व्यंजन
स्पर्श व्यंजन
  1. कवर्ग- क ख ग घ ङ ये कण्ठ का स्पर्श करते है।
  2. चवर्ग- च छ ज झ ञ ये तालु का स्पर्श करते है।
  3. टवर्ग- ट ठ ड ढ ण (ड़, ढ़) ये मूर्धा का स्पर्श करते है।
  4. तवर्ग- त थ द ध न ये दाँतो का स्पर्श करते है।
  5. पवर्ग- प फ ब भ म ये होठों का स्पर्श करते है।
2. अन्तःस्थ व्यंजन

उच्चारण के समय जो व्यंजन मुँह के अंदर ही रहे, उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहते है।

ये व्यंजन चार होते है- य, र, ल, व।

3. उष्म या संघर्षी व्यंजन

जिन वर्णो के उच्चारण के समय हवा मुँह के विभिन्न भागों से टकराये और साँस में गर्मी पैदा कर दे, उन्हें उष्म व्यंजन कहते है।

ये भी चार व्यंजन होते है- श, ष, स, ह।

2. शब्द विचार

शब्द विचार हिन्दी व्याकरण का दूसरा हिस्सा है। शब्द विचए के अंतर्गत ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण समूह जैसे- भेद-उपभेद, संधि-विच्छेद आदि को पढ़टे है।

शब्द किसे कहते हैं?

“एक या एक से अधिक ध्वनियों (वर्णों) के मेल से बने सार्थक ध्वनि-समूह (वर्ण समुदाय) को शब्द कहते हैं, जैसे- बेटा, औरत, आदि।”

शब्दों के प्रकार/भेद

शब्दों के चार भेद होते हैं-

  1. प्रयोग के आधार पर
  2. बनावट या रचना के आधार पर
  3. अर्थ के आधार पर
  4. उत्पत्ति एवं श्रोत के आधार पर

1. प्रयोग के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

प्रयोग के आधार पर शब्दों के दो प्रकार होते हैं-

  • 1. अविकारी शब्द – जिन शब्दों के रूप में कभी परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। सभी क्रिया विशेषण, सबंधबोधक, समुच्यबोधक, तथा विस्मायदिबोधक अव्वय शब्द अविकारी शब्द कहलाते हैं। उदाहरण के लिए- तथा, किन्तु, परन्तु, अधिक तेज़, आदि।
  • 2. विकारी शब्द- वाक्यों में प्रयोग में प्रयोग करते समय लिंग, कारक और वचन आदि के अनुसार जिन शब्दों के रूप में परिवर्तन हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।

जैसे-

लिंग: लड़का खेलता है। = लड़की खेलती है।

कारक: लड़का खेलता है। = लडके को खेलने दो।

वचन: लड़का खेलता है। = लडके खेलते हैं।

विकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं।

  1. संज्ञा (noun)
  2. सर्वनाम (pronoun)
  3. क्रिया (verb)
  4. विशेषण (adjective)

1. संज्ञा

किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि तथा नाम के गुण, धर्म, स्वभाव का बोध कराने वाले शब्द संज्ञा कहलाते हैं। जैसे-श्याम, आम, मिठास, हाथी आदि।

संज्ञा के प्रकार-

संज्ञा के तीन भेद हैं-

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा– जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष, व्यक्ति, प्राणी, वस्तु अथवा स्थान का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-जयप्रकाश नारायण।

2. जातिवाचक संज्ञा– जिस संज्ञा शब्द से उसकी संपूर्ण जाति का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-मनुष्य।

3. भाववाचक संज्ञा – जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-बुढ़ापा।

2. सर्वनाम

संज्ञा के बदले में आने वाले शब्द को सर्वनाम कहते हैं। उदाहरण -मैं, तुम, आप, वह, वे आदि।

सर्वनाम के छह प्रकार के भेद हैं-

  1. पुरुषवाचक (व्यक्तिवाचक) सर्वनाम।
  2. निश्चयवाचक सर्वनाम।
  3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम।
  4. संबन्धवाचक सर्वनाम।
  5. प्रश्नवाचक सर्वनाम।
  6. निजवाचक सर्वनाम।
विशेषण

संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। उदाहरण -‘हिमालय एक विशाल पर्वत है।’ यहाँ “विशाल” शब्द “हिमालय” की विशेषता बताता है इसलिए वह विशेषण है।

विशेषण के भेद 

  • संख्यावाचक विशेषण
  • परिमाणवाचक विशेषण
  • गुणवाचक विशेषण
  • सार्वनामिक विशेषण

3. क्रिया

कार्य का बोध कराने वाले शब्द को क्रिया कहते हैं। उदाहरण -आना, जाना,नाचना,खाना,घूमना,सोचना,देना, आदि।

क्रियाएं दो प्रकार की होतीं हैं-

  1. सकर्मक क्रिया – जिस क्रिया में कोई कर्म (ऑब्जेक्ट) होता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण – खाना, पीना, लिखना आदि।
  2. अकर्मक क्रिया – इसमें कोई कर्म नहीं होता। उदाहरण – हंसना, रोना आदि। बच्चा रोता है। इस वाक्य में ‘क्या’ का उत्तर उपलब्ध नहीं है।

4. क्रिया विशेषण

किसी भी क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते हैं। उदाहरण -‘मोहन मुरली की अपेक्षा कम पढ़ता है।’ यहाँ “कम” शब्द “पढ़ने” (क्रिया) की विशेषता बताता है इसलिए वह क्रिया विशेषण है।

क्रिया विशेषण के भेद:

  • 1. रीतिवाचक क्रिया विशेषण : मोहन ने अचानक कहा।
  • 2. कालवाचक क्रिया विशेषण :’ मोहन ने कल कहा था।
  • 3. स्थानवाचक क्रिया विशेषण : मोहन यहाँ आया था।
  • 4. परिमाणवाचक क्रिया विशेषण : मोहन कम बोलता है।

समुच्चय बोधक

दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले संयोजक शब्द को समुच्चय बोधक कहते हैं। जैसे- और। उदाहरण -‘मोहन और सोहन एक ही शाला में पढ़ते हैं।’

विस्मयादि बोधक-

विस्मय प्रकट करने वाले शब्द को विस्मायादिबोधक कहते हैं। उदाहरण – अरे।

पुरुष –

पुरुष की यदि बात की जाए तो ये वह व्यक्ति होते हैं, जो संवाद के समय या बातचीत के समय भागीदार होते हैं, उन्हें पुरुष कहा जाता है।

पुरुष तीन प्रकार के होते हैं, जो निम्न है:

  1. उत्तम पुरुष – मैं, हम
  2. मध्यम पुरुष – तुम, आप
  3. अन्य पुरुष – वह, राम आदि

वचन

संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के जिस रूप से हमें उनकी संख्या का पता चले उसे वचन कहते हैं। या संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति वस्तु स्थान के एक या एक से अधिक होने का बोध हो उसे Vachan कहते हैं।

हिन्दी में Vachan दो प्रकार के होते हैं-

1. एकवचन – संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पदार्थ आदि के एक होने का बोध हो या पता चलता है उसे एकवचन कहते हैं। जैसे- लड़का, गाय, सिपाही घोड़ा, बच्चा, कपड़ा, माला, पुस्तक, स्त्री, टोपी, मोर आदि।
2. बहुवचन – संज्ञा के जिस रुप से किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पदार्थ आदि के एक से अधिक होने का बोध होता है या पता चलता है उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे-लड़के, बच्चे कपड़े पुस्तकें स्त्रियां टोपिया, गाड़ियां, ठेले, नदियां आदि।

लिंग

लिंग का तात्पर्य ऐसे प्रावधानों से जिसके द्वारा वक्ता के स्त्री, पुरूष तथा ​निर्जीव और सजीव अवस्था के अनुसार परिवर्तन होते है। विश्व में लगभग एक चौथाई भाषाओं  किसी ना किसी प्रकार  की ‘लिंग’ व्यवस्था है।

लिंग के मुख्यतः 2 भेद होते हैं

  • पुल्लिंग (पुरुष जाति)
  • स्त्रीलिंग (स्त्री जाति)

पुल्लिंग: वे संज्ञा शब्द जो हमें पुरुष जाति का बोध कराते हैं, वे शब्द पुल्लिंग शब्द कहलाते हैं। जैसे :

  • सजीव : घोडा, कुत्ता, गधा, आदमी, लड़का,  आदि।
  • निर्जीव : गमला, दुःख, मकान, नाटक, लोहा, फूल आदि।

स्त्रीलिंग: ऐसे संज्ञा शब्द जो हमें स्त्री जाति का बोध कराते हैं, वे शब्द स्त्रीलिंग शब्द कहलाते हैं। जैसे: 

  • सजीव : लड़की, बकरी, माता, बंदरिया, गाय, मुर्गी, लोमड़ी, बहन, लक्ष्मी, नारी, शेरनी, घोड़ी आदि।
  • निर्जीव : सूई, कुर्सी, मेज, शाखा, यमुना, झोंपड़ी, तलवार, ढाल, रोटी, टोपी, दारु, बालू, रात, आदि।

कारक-

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य का सम्बन्ध किसी दूसरे शब्द के साथ जाना जाए, उसे कारक (Karak) कहते हैं।

हिंदी में Karak के भेद नीचे दिए गए हैं-

कारकविभक्तियाँ
कर्ताने
कर्मको
करणसे, द्वारा
सम्प्रदानको, के लिये, हेतु
अपादानसे (अलग होने के अर्थ में)
सम्बन्धका, की, के, रा, री, रे
अधिकरण  में, पर
सम्बोधनहे! अरे! ऐ! ओ! हाय!

उपसर्ग

उप + सर्ग = उपसर्ग
‘उप’ का अर्थ है-समीप या निकट और ‘सर्ग’ का-सृष्टि करना।

“उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे।”

जैसे-

  • अभि + मान = अभिमान
  • प्र + चार = प्रचार आदि।

उपसर्ग प्रकृति से परतंत्र होते हैं। उपसर्ग चार प्रकार के होते हैं –

  1. संस्कृत से आए हुए उपसर्ग,
  2. कुछ अव्यय जो उपसर्गों की तरह प्रयुक्त होते है,
  3. हिन्दी के अपने उपसर्ग (तद्भव),
  4. विदेशी भाषा से आए हुए उपसर्ग।

प्रत्यय

प्रत्यय वे शब्द होते हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – प्रति + अय। 

संधि –

दो समान वर्णो के मेल से जो विकार (बदलाव ) उत्पन होता है। उसे संधि कहते है। संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण से एक नया शब्द का निर्माण होता है।

उदहारण के लिए :- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी  जगत + नाथ = जगन्नाथ विद्या +आलय = विद्यालय।

यह सन्धि स्वर, व्यञ्जन और विसर्ग के भेद के कारण तीन प्रकार की होती है-

  1. स्वर-सन्धि, – Swar Sandhi
  2. व्यञ्जन-सन्धि, – Vyanjan Sandhi
  3. विसर्ग-सन्धि। – Visarg Sandhi

समास –

भिन्न अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है तथा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है, समास-प्रक्रिया कही जाती है।

जैसे-राज+पुत्र = राजपुत्र, छोटे+बड़े = छोटे-बड़े आदि।

पूर्वपदउत्तरपदसमस्तपद
देशभक्तदेशभक्त
नीलागगननीलगगन
राष्ट्रनायकराष्ट्रनायक
नरनारीनर-नारी
प्रतिअक्षप्रत्यक्ष
पंचआननपंचानन
कालीमिर्चकालीमिर्च
दहीबड़ादहीवड़ा
अष्टअध्यायीअष्टाध्यायी

सामान्यतः समास छह प्रकार के माने गए हैं। 1. अव्ययीभाव, 2. तत्पुरुष, 3. कर्मधारय, 4. द्विगु, 5. द्वन्द्व और 6. बहुब्रीहि समास।

  • अव्ययीभाव- पूर्वपद प्रधान होता है। 
  • तत्पुरुष- उत्तरपदप्रधान होता है। 
  • कर्मधारय- दोनों पद प्रधान। 
  • द्विगु- पहला पद संख्यावाचक होता है। 
  • द्वन्द्व- दोनों पद प्रधान होते है , विग्रह करने पर दोनों शब्द के बिच (-)हेफन लगता है। 
  • बहुब्रीहि- किसी तीसरे शब्द की प्रतीति होती है। 

2. बनावट या रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

बनावट या रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं।

  • रूढ़ शब्द- ऐसे शब्द जो किसी निश्चित अर्थ को प्रकट करते हैं लेकिन अगर उनके टुकड़े (खंड) कर दिए जाएँ तो वे निरर्थक हो जाते हैं। ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे-फल, फल एक रूढ़ शब्द है।
  • यौगिक शब्द- दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनने वाले शब्दों को यौगिक शब्द कहते हैं। यौगिक शब्दो के खंड (टूकडे) करने पर भी उन खंडो के अर्थ निकलते हैं। जैसे-पाठशाला-पाठ + शाला शीशमहल-शीश + महल।
  • योगरूढ़ शब्द- कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो एक या एक से अधिक शब्दों के मेल से बनते हैं किन्तु अपने सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। इस प्रकार के शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।  जैसे-नीलकंठ-नीले कंठ वाला अर्थात शिव भगवान।

3. अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं-

  • 1. सार्थक शब्द- जो शब्द किसी अर्थ का बोध करते हैं, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं, जैसे घर, पुस्तक, नगर, क्षेत्र आदि।
  • 2. निरर्थक शब्द- जिन शब्दों से कोई अर्थ न निकले, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं, रोटी-ओटी, खाना-वाना, ताला-वाला आदि।

4. उत्पत्ति या श्रोत के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण

उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार भेद होते हैं-

  • 1. तत्सम शब्द- ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा में हुई ओर वे हिन्दी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में आने लगे, ऐसे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे-दुग्ध, पुष्प, दही, आम्र आदि।
  • 2. तद्भव शब्द- ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी लेकिन उनका रूप बदलकर हिन्दी में-में प्रयोग किये जाते है, तद्भव शब्द कहलाते हैं। दूध, फूल, दही, आम आदि
  • 3. देशज शब्द- जो शब्द देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हैं, उन शब्दों को देशज शब्द कहा जाता है। ऐसे शब्द स्थानीय बोलियों से उत्पन्न होते हैं और उसके बाद हिन्दी में जुड़ जाते हैं। जैसे-लोटा, पगड़ी, झाड़ू, ठोकर, खिड़की आदि।
  • 4. विदेशी शब्द- विदेशी भाषाओ से हिन्दी में ज्यो के त्यों (बिना किसी बदलाव के) प्रयोग किये जाते है, विदेशी शब्द कहलाते हैं। जैसे-स्कूल, डाक्टर, काग़ज, कर्फ्यू, कारतूस, आदि

3. वाक्य विचार

वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, ‘वाक्य’ कहलाता हैै।
दूसरे शब्दों में- विचार को पूर्णता से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को ‘वाक्य’ कहते हैं।

वाक्य के भाग-

वाक्य के दो भेद होते है-

  1. उद्देश्य (Subject) – वाक्य का वह अंग जिसके बारे में कुछ कहा जाता है , उद्देश्य कहलाता है । 
  2. विद्येय (Predicate) – उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाए , वह ‘ विधेय ‘ कहलाता है । 
उद्देश्यविधेय
( क ) मेरा भारतमहान है।
( ख ) वह लड़कीअत्यंत सुन्दर है।
( ग ) विशालपत्र लिख रहा है।
( घ) तम्मनापढ़ रही है।
( ड़ ) माता जीखाना बना रही है।

अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार

  • सरल वाक्य (Affirmative Sentence) – वे वाक्य जिनमे कोई बात साधरण ढंग से कही जाती है, सरल वाक्य कहलाते है।
  • जैसे- राम ने बाली को मारा। राधा खाना बना रही है।
  • निषेधात्मक वाक्य (Negative Semtence) – जिन वाक्यों में किसी काम के न होने या न करने का बोध हो उन्हें निषेधात्मक वाक्य कहते है। जैसे- आज वर्षा नही होगी। मैं आज घर जाऊॅंगा।
  • प्रश्नवाचक वाक्य (Interrogative Sentence) – वे वाक्य जिनमें प्रश्न पूछने का भाव प्रकट हो, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते है। जैसे- राम ने रावण को क्यों मारा? तुम कहाँ रहते हो ?
  • आज्ञावाचक वाक्य (Imperative Sentence) – जिन वाक्यों से आज्ञा प्रार्थना, उपदेश आदि का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते है। जैसे- वर्षा होने पर ही फसल होगी। परिश्रम करोगे तो फल मिलेगा ही। बड़ों का सम्मान करो।
  • संकेतवाचक वाक्य (Conditional Sentence) – जिन वाक्यों से शर्त्त (संकेत) का बोध होता है यानी एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते है। जैसे- यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे।
  • विस्मयादिबोधक वाक्य (Exclamatory Sentence) – जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा आदि का भाव ज्ञात हो उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते है। जैसे- वाह! तुम आ गये। हाय! मैं लूट गया।
  • विधानवाचक वाक्य (Assertive Sentence) – जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते है। जैसे- मैंने दूध पिया। वर्षा हो रही है। राम पढ़ रहा है।
  • इच्छावाचक वाक्य (IIIative Sentence) – जिन वाक्यों से इच्छा, आशीष एवं शुभकामना आदि का ज्ञान होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते है। जैसे- तुम्हारा कल्याण हो। आज तो मैं केवल फल खाऊँगा। भगवान तुम्हें लंबी उमर दे।

रचना के आधार पर वाक्य के प्रकार 

  • सरल वाक्य (Simple Sentences)

सरल वाक्यों में केवल एक उद्देश्य तथा एक विधेय होता है ; जैसे  विशाल पढ़ता है। तमन्ना खेलती है। मैं बाजार जाऊँगी। 

  • संयुक्त वाक्य (Compound Sentences)

इन वाक्यों में दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं । इनमें उपवाक्य समुच्चयबोधक अव्ययों द्वारा जुड़े होते हैं ; जैसे 

वह गया तो था परंतु खाली हाथ लौट आया। 

विशाल स्कूल जाता है और मन लगाकर पढ़ता है। 

  • मिश्रित वाक्य (Complex Sentences)

 इन वाक्यों में एक मुख्य उपवाक्य होता है और एक या एक से अधिक आना उपवाक्य उस पर आश्रित होते हैं । इसमें भी उपवाक्य समुच्चयबोधक अव्ययों द्वारा जुड़े होते हैं ; जैसे 

(पिता जी ने कहा कि वे दिल्ली जाएंगे। 

विशाल ने कहा कि मैं रोहित से मिलूँगा। 

काल 

वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के जिस रूप से उसके घटित होने के समय का, उसकी पूर्णता या अपूर्णता का बोध होता है, उसे ” काल ” कहते हैं।

काल के प्रकार

हिन्दी व्याकरणानुसार काल तीन प्रकार के होते हैं –

  • भूतकाल
  • वर्तमान काल
  • भविष्य काल
  • 1 . भूतकाल (Bhootkaal) – वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के जिस रूप का बीते हुए समय में समाप्त होने का बोध होता है, उसे भूतकाल कहते हैं।  जैसे – वह कल स्कूल नहीं गया।
  • 2 . वर्तमान काल (Vartman Kaal) –  वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल की क्रिया के सामान्य रूप का बोध होता है, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। जैसे- मैं पढ़ रहा हूँ।
  • 3 . भविष्यत् काल (Bhavishyat Kaal) – जब वाक्य में प्रयुक्त सामान्य क्रिया के अन्त में ‘एगा’, ‘एगी’ या ‘एँगे’ आये अर्थात् भविष्य में होने वाली क्रिया के सामान्य रूप को सामान्य भविष्यत् काल कहते हैं। जैसे- कल मुझे अगर जाना होगा।

पदबंध

जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे पद कहते हैं और जब एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं, तब उस बँधी हुई इकाई को ‘पदबन्ध‘ कहते हैं।

पदबंध दो शब्दो का संयोजन हैं “पद + बंध।

पदबंध जानने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि पद या पद परिचय क्या है।

(पद: जिस शब्द का पुरा व्याकरण की परिचय देना होता है जैसे शब्द का वचन क्या है , लिंग क्या है , क्रिया है या फिर क्रिया विशेषण , संज्ञा शब्द हैं या फिर सर्वनाम शब्द है आदि की पुरी जानकारी दे उसे पद कहते है।)

पदबन्ध के भेद-

पदबंध पाँच प्रकार के होते हैं –

  • 1 . संज्ञा पदबंध
  • 2 . सर्वनाम पदबंध
  • 3 . विशेषण पदबंध
  • 4 . क्रिया पदबंध
  • 5 . अव्यय पदबंध

1 . संज्ञा पदबंध (Noun Phrase) –

परिभाषा – जब किसी पदबंध के शीर्ष में संज्ञा पद हो तथा अन्य सभी पद उस पर आश्रित हों, उसे संज्ञा पदबंध कहते हैं।

जैसे –

1 . बच्चे गंगानदी के किनारे तैर रहे हैं।

2 . दशरथ के पुत्र राम ने रावण का वध किया।

2 . सर्वनाम पदबन्ध (Pronoun Phrase) –

परिभाषा – वाक्य में प्रयुक्त जब कोई पद समूह सर्वनाम का काम दे, उसे सर्वनाम पदबन्ध कहते हैं।

1 . बढ़चढ़ कर बातें करने वाले तुम आज क्यों नहीं बोलते ?

2 . हम सबको बेवकूफ बनाने वाला वह आज स्वयं बेवकूफ बन गया।

3 . विशेषण पदबन्ध (Adjective Phrase) –

परिभाषा – वे पदबन्ध जो वाक्य में प्रयुक्त किसी संज्ञा या सर्वनाम के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें विशेषण पदबन्ध कहते हैं।

1 . दूध का जला आदमी छाछ भी फूंक कर पीता है।

2 . इस सड़क पर सबसे बड़ा बंगला वर्माजी का है।

4 . क्रिया पदबंध (Verb-Phrase) –

परिभाषा – वाक्य में प्रयुक्त कोई पद समूह क्रिया का कार्य सम्पन्न करता है, वह क्रिया पदबंध कहलाता है।

विद्यार्थी खाना खाकर सो गये।

मुझे सब कुछ सुनाई पड़ रहा है।

5 . क्रिया विशेषण पदबन्ध (Indeclinable Phrase) –

परिभाषा – वाक्य में क्रिया-विशेषण के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले एकाधिक पदों के समूह को क्रिया विशेषण पदबन्ध या अव्यय पदबंध भी कहते हैं। 

वह चलते-चलते थक गया।

वह थक गया।

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