पदबंध की परिभाषा, भेद व उदाहरण | Padbandh kise kahate hain? | Padbandh in Hindi? | पद परिचय

पदबंध की परिभाषा, भेद व उदाहरण | Padbandh kise kahate hain? | Padbandh in Hindi? | पद परिचय

पदबंध की परिभाषा – Padbandh kise kahate hain?

‘पदबंध’ वाक्य रचना की एक महत्वपूर्ण इकाई मानी गई है। पद की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है,”जब एक से अधिक पद मिल कर एक व्याकरणिक इकाई का काम करें तो उस बंधी हुई इकाई को पदबंध कहते हैं।”जैसे हमारी गली का सबसे मेहनती लड़का मोहन पुस्तक पढ़ रहा है। इस वाक्य मे हमारी गली का सबसे मेहनती लड़का मोहन मिलकर कर्ता कारक का काम कर रहे हैं। अतः यह एक पदबंध है।

पदबंध के कुछ उदाहरण:

  1. शेर की तरह दहाडने वाले तुम कुत्ते से डर क्यों रहे हो।
  2. बाहर से आए हुए विद्यार्थियों में कुछ शाकाहारी हैं।

पदबंध में एक शीर्ष पद होता है और शेषफल उस पर आश्रित होते हैं। बंधारण में हमारी गली का सबसे मेहनती लड़का मोहन पदबंध में मोहन शीर्ष पद है, शेष सभी पद उस पर आश्रित हैं। शीर्ष पद को पहचानने की प्रक्रिया यह है कि पदबंध की व्याकरणिक भूमिका को पहचानना चाहिए। यह देखने का प्रयास करना चाहिए कि वह पदबंध संज्ञा का काम कर रहा है, विशेषण का, सर्वनाम का, क्रिया का अथवा क्रिया विशेषण का। अब उस पद बंद की जगह न्यूनतम एक पद को रख कर देखें। जो पद वाक्य की अर्थ की संगति बनाता है, वह उसका शीर्ष पद है।

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पदबंध के भेद (प्रकार)

पदबंध के पांच भेद होते हैं:

  1. संज्ञा पदबंध
  2. सर्वनाम पदबंध‌
  3. विशेषण पदबंध
  4. क्रिया पदबंध
  5. क्रिया विशेषण पदबंध

आईए इन सभी के बारे में जानते हैं।

1. संज्ञा पदबंध

वाक्य में संज्ञा पदों की जगह प्रयुक्त होने वाला पदबंध संज्ञा पदबंध कहलाता है। संज्ञा पदबंध के साथ भी संज्ञा पद की तरह कारक चिन्हो का प्रयोग होता है। उदाहरण:

  • पड़ोस के एक मकान में रहने वाला किराएदार आज चला गया।
  • दिल्ली से आए हुए लोग चले गए हैं।

2. सर्वनाम पदबंध‌

वाक्य में सर्वनाम पद का कार्य करने वाला पदबंध सर्वनाम पदबंध कहलाता है। उदाहरण:

  • चोट खाए हुए तुम आज नहीं खेल सकते।
  • तकदीर का मारा मैं जैसे तैसे घर पहुंचा।

3. विशेषण पदबंध

जो पदबंध संज्ञा या सर्वनाम के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है, उसे विशेषण पदबंध कहते हैं। विशेषण पदबंध में एक विशेषण ही शीर्ष पद होता है ।शेष पद विशेषण से जुड़े होते हैं। उदाहरण

मोहन बहुत मेहनती लड़का है।

मोहन बहुत मेहनती लड़का है ।इस वाक्य में बहुत मेहनती विशेषण पद है। जो कि लड़का की विशेषता बता रहा है। यहां मेहंदी शीर्ष पद है और बहुत पराविशेषण है तथा यह मेहंदी की विशेषता बता रहा है।

4. क्रिया पदबंध

जहां एक से अधिक क्रियापद मिलकर क्रिया का काम करते हैं ,वहां क्रिया पदबंध होता है ।उदाहरण के रूप में मुझे पेड़ दिखाई दे रहा है ।इस वाक्य में’ दिखाई दे रहा है ‘पदबंध क्रियापद का काम कर रहा है. अतः यह क्रिया पदबंध है।

क्रिया पदबंध में भी मुख्य क्रिया शीर्ष पद होती है ।शेष पद जैसे- रंजक क्रिया, समापिका क्रिया ,संयोजी क्रिया आदि उस पर आश्रित होते हैं। क्रिया विशेषण भी मुख्य क्रिया पर आश्रित होते हैं। क्रिया पदबंध के दो भेद हैं-

(क) क्रियाविशेषणात्मक पदबंध

इस क्रिया पदबंध में क्रिया विशेषण आत्मक पद उस पर आश्रित होते हैं। जैसे–

  • राधा धीरे धीरे चल रही है।

(ख) अंतः केंद्रित क्रिया पदबंध

इसमें सिर्फ क्रिया पर सहायक संयोजी तथा रंजक क्रिया आश्रित होती हैं। जैसे:

  • मैं थक कर चूर हो गया हूं।

5. क्रिया विशेषण पदबंध

क्रिया विशेषण के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले 1 से अधिक पदों का समूह क्रियाविशेषण पदबंध कहलाता है। जैसे: लड़का बहुत धीरे धीरे लिखता है। इस वाक्य में बहुत धीरे-धीरे क्रिया विशेषण पदबंधहै ।क्योंकि यह ‘लिखना’ क्रिया की विशेषता बतलाता है। इस पदबंध में ‘धीरे-धीरे ‘क्रिया विशेषण शीर्ष पद है तथा ‘बहुत ‘आश्रित पद है।

पद परिचय

पद की चर्चा शब्दों के साथ की जाती है ,क्योंकि शब्द या पद दोनों भाषा की महत्वपूर्ण इकाइयां हैं, बल्कि शब्द की अपेक्षा पद का अधिक महत्व है। आदिकाल से भाषा में पद की अपेक्षा शब्द को अधिक महत्व दिया जाता है।

शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थों में होता है। वैष्णव उपासना में ईश्वर को ‘शब्द ब्रह्म ‘तक कहा गया है ।सामान्य जीवन में बातचीत करते समय शब्द का ही प्रयोग किया जाता है। परंतु शब्द और पद दोनों की अपनी विशेषताएं हैं और दोनों की सीमाएं भी हैं। इसलिए दोनों में पर्याप्त भेद है। डॉ नरेश मिश्र ने पद की परिभाषा देते हुए लिखा है- “भाषा की लघुतम, स्वतंत्र ,सार्थक महत्वपूर्ण इकाई शब्द है।

अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने के योग्य बन जाता है ,तब उसे पद कहते हैं ।इसे हम उदाहरण द्वारा समझा सकते हैं- राम ,रावण, बाण, मारना। यह चारों शब्द हैं परंतु राम ने ,रावण को ,बाण से, मारा यह चारों पद हैं। कभी-कभी परसर्ग अथवा प्रत्यय नहीं लगने पर भी शब्द वाक्य में पद का ही काम करता है। जैसे -राम पुस्तक पढ़ता है ।यहां राम और पुस्तक दोनों ही पद का काम कर रहे हैं।

पाणिनि ने पद की परिभाषा देते हुए पद के दो भाग किए हैं –सुबन्त और तिडन्त। सुबन्त से अभिप्राय है सुप अर्थात विभक्ति अथवा प्रसर्ग से युक्त शब्द सुबन्त कहलाते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण सुबन्त पद है। तिडन्त से अभिप्राय है -क्रिया बोधक आदि  प्रत्ययो से प्रयुक्त शब्द अर्थात धातु रूप ।समस्त क्रिया रूप तिडन्त कहलाते हैं ,परंतु शब्द और पद में अंतर है।

  1. शब्द स्वतंत्र होता है, परंतु पद वाक्य के अनुकूल होने के कारण परतंत्र होता है।
  2. शब्द के साथ विभक्तियो और परसगो का योग नहीं होता, परंतु पदों की रचना विभक्तयोऔर परसरगो से  होती हैं।
  3. शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने की क्षमता नहीं रखता ,परंतु पद वाक्य में प्रयुक्त होने की पूर्ण क्षमता रखता है।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भले ही शब्द सार्थक होता है परंतु वह तब तक भाव बोधक अर्थ बोधक नहीं बनता जब तक वह विभक्ति परसर्ग प्रत्यय के संयोग से पद नहीं बन जाता। पद का रूप भी कहा जाता है। अंग्रेजी में पद के लिए मोरफ़ोलॉजी शब्द का प्रयोग होता है। जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने के योग्य बन जाता है, तब उसे पद कहते हैं। भाषा की अयोगात्मक स्थिति में शब्द और पद का एक ही रूप होता है, परंतु जब शब्द वाक्य में विशेष स्थान ग्रहण कर लेता है तब वह पद बन जाता है।

जैसे -‘सेब ‘हिंदी का एक शब्द है। जब इसे वाक्य में प्रयोग करेंगे ,तब यह वाक्य बन जाएगा ।उल्लेखनीय बात यह है कि पद बनने पर इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है ।जैसे-‘ सेव मीठा है ‘-यहां सेब एक पद है जो वाक्य में कर्ता के रूप में प्रयुक्त  है। ‘सेब’ पद का वाक्य के अन्य शब्द से संबंध स्पष्ट हो जाता है ।यदि  सेब  शब्द  किसी अन्य स्थान पर प्रयोग करें तो पद भी भिन्न हो जाएगा–

“राम सेब खाता है” इस वाक्य मे’ सेब’ पद है जो स्वतंत्र रूप से पहले शब्द था। यहां’ सेब ‘कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है।

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